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भाटागांव बस स्टैंड में अवैध वेंडरों, कब्जाधारियों की दबंगई....

भाठागांव के नागरिकों की मांग है कि जिस तरह से पूरे शहर में बुलडोजर चल रहा है उनका मुख भी नए बस स्टैंड की तरफ हो ताकि अवैध कब्जाधारियों से बस स्टैंड मुक्त हो सके

रायपुर : शहर में चल रहे अवैध निर्माण की बेदखली से जनता जनार्दन खुश है।भाठागांव के नागरिकों की मांग है कि जिस तरह से पूरे शहर में बुलडोजर चल रहा है उनका मुख भी नए बस स्टैंड की तरफ हो ताकि अवैध कब्जाधारियों से बस स्टैंड मुक्त हो सके। लाइसेंसी वेंडरों से कई गुना ज्यादा बिना लाइसेंस वाले अवैध वेंडर है जो आए दिन यात्रियों से मारपीट और लूटपाट करते है। पुलिस तो वहां तमाशबिन बनकर बैठे रहती है। पीडि़त यात्रियों की शिकायत पर थाने जाने की सलाह देते है। जो यात्रियों के लिए संभव नहीं है। कार्रवाई की जगह समझौता करने की सलाह तक दे देते है।

यात्रियों को नए बस स्टैंड से सुविधा की जगह परेशानी अधिक हुई

जब से पंडरी से बस स्टैंड भाटागांव शिफ्ट हुआ है तब से उठाईगिरों, ठगों की निकल पड़ी है, रोज चांदी काट रहे है। उनका अड्डा बिना रोकटोक के संचालित हो रहा है। यात्रियों को नए बस स्टैंड से सुविधा की जगह परेशानी अधिक हुई है। हर रोज उठाईगिरी,छिनताई और अवैध वेंडरों के लूट के यात्री शिकार हुए है । पुलिस भी यात्रियों की सुनवाई नहीं करती थी, बल्कि पीडि़तों से उल्टा सीधा सवाल किया जाता था। इतना ही नहीं बस स्टैंड के आसपास की जमीनों में अवैधकब्जा कर पक्का निर्माण कर काले कारोबार का अड्डा चला रहे है। पुलिस और निगम में सैकड़ों शिकायतों के बाद भी पुलिस और नगर निगम जोन कमिश्नर के कानों तक पीडि़त जनता की आवाज नहीं पहुंची।

भाठागांव में बस स्टैंण्ड में अवैध बुकिंग एजेंट डेरा डालकर बैठे हुए हैं। उनकी शिकायत कई बार बस मालिकों द्वारा कलेक्टर और एसपी से की गई है। इसके बाद भी टेबल-कुर्सी लगाकर वह अपना कारोबार चला रहे हैं। मना करने पर बस चालक परिचालक से मारपीट कर लूटपाट भी कर रहे हैं। बुकिंग एजेंट रोजाना यात्रियों से अवैध वसूली कर हजारों रुपए के जीएसटी की चोरी कर रहे हैं। बिना किसी लाइसेंस और पंजीयन कराए अपना कारोबार कर रहे हैं।ऑनलाइन टिकटों में वह इसका भुगतान करते है। लेकिन, अपनी रसीदों में उससे कई गुना ज्यादा वसूली करते हैं। कोई रेकॉर्ड और उल्लेख भी नहीं किया जाता। बता दें कि नियमानुसार एसी बसों की टिकटों पर 18 फीसदी जीएसटी लिया जाता है। बताया जाता है कि बुकिंग एजेंट अपने गुर्गों के जरिए यात्रियों को पकड़कर लाते हैं। साथ ही उनकी टिकट ऑनलाइन बुक करने के बाद बसों में ले जाकर बिठाते हैं। बस मालिकों का कहना है कि टिकटों की ऑनलाइन बुकिंग के कारण यात्रियों का इंतजार करना पड़ता है। उनके आने के बाद ही बसों को रवाना करना पड़ता है। पिछले दिनों एक टे्रवल्स के चालक के साथ मारपीट कर 16000 रुपए नकद, मोबाइल फोन और हैडफोन लूटने की घटना हुई है। इसकी शिकायत करने के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जीएसटी व परिवहन विभाग खामोश  लंबी दूरी की बसों की टिकटों की ऑनलाइन बिक्री के चलते बुकिंग एजेंट चांदी काट रहे है।

ट्रैवल्स एजेंसी खोलकर देशभर के सभी प्रमुख शहरों के लिए

यात्रियों की टिकट बुक करने के बाद उन्हें वास्तविक किराए की जानकारी नहीं दी जाती। वह अपनी रसीदों पर टिकटों की बुकिंग करते है। बिना किसी लाइसेंस के अपने नाम की ट्रैवल्स एजेंसी खोलकर देशभर के सभी प्रमुख शहरों के लिए कागजों में बसों का संचालन किया जा रहा है। जबकि रायपुर बस स्टैण्ड से सीधी बस सेवा भी उपलब्ध नहीं है। अवैध एजेंट रसीदों से काटी जा रही टिकटों के जरिए टैक्स चोरी भी कर रहे हैं। यात्रा टिकट पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है जो ये नहीं पटा रहे हैं। बावजूद जीएसटी और एक्साइज डिपार्टमेंट खामोश है। बस मालिकों की मजबूरी दूसरे राज्यों से आने वाली बस मालिकों को सर्वाधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। रायपुर में अधिकृत दफ्तर नहीं होने के कारण स्थानीय ट्रैवल्स एजेंसियों के भरोसे रहना पड़ता है। इसके चलते बुकिंग एजेंट अपनी मनमानी करते हैं। उन्हें यात्रियों के आने तक इंतजार करना पड़ता है।

जिला प्रशासन, पुलिस और परिवहन विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। इसके चलते उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है। एक समूह का वर्चस्व लोगों को यह समझ में नहीं आ रहा है कि ये अवैध एजेंट बस स्टेंड में किसकी शह पर हुकूमत चला रहे हैं। जब बस आपरेटर अपने बुकिंग एजेंट नियुक्त नहीं किए हैं तो इन बुकिंग एजेंटों पर किसका नियंत्रण है क्या इनकी नियुक्ति जिला प्रशासन और निगम के माध्यम से हुआ है या फिर इन्हें कांटे्रक्ट दिया गया है। इन बुकिंग एजेन्टस द्वारा बस सेवा भी संचालित नहीं की जा रही है। बावजूद बस स्टैंड पर इनकी मोनोपल्ली और सिंडीकेट का संचालन कैसे हो रहा है। आखिर इसकी पीछे किसका हाथ है और जिला और पुलिस प्रशासन की खामोश क्यों है यह भी सोचने वाली बात है।

 

 

India Edge News Desk

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